श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनहुं लो कभयो अंधियारो,
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहू सो जात है टारो।
देवन आनि करी विनती तब छांडि दियों रवि कष्ट निवारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पन्थ निहारो,
चौंकि महामुनि शाप दियो तब चाहिए कौन विचार विचारो।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
अंगद के संग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो,
जीवत न बचिहौं हम सों जु बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब लाय सिया सुध प्रान उबारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो,
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो।
चाहत सीय अशोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
बान लग्यों उर लक्ष्मन के तब प्राण तजे सुत रावन मारो,
लै गृह वैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सुबीर उपारो।
आनि सञ्जीवनि हाथ दई तब लक्ष्मण के तुम प्रान उबारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
रावण युद्ध अजान कियो तब नाग की फांस सबै सिर डारो,
श्री रघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जू बन्धन काटि सुत्रास निवारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
बन्धु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो,
देवहि पूजि भली विधि सों बलि देउ सबै मिलि मन्त्र बिचारो।
जाय सहाय भयो तबही अहिरावण सैन्य समेत संहारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
काज किये बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देख विचारो,
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुम सों नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कुछ संकट होय हमारो,
को नहिं जानत है जब में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥
॥ दोहा॥
लाल देह लाली लसै अरु धरु लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन जै जै जै कपि सूर॥
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